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Saturday, September 19, 2009

तेजी से उभर रही अर्थव्यवस्था : कितना सच .....!

भारतीय अर्थव्यवस्था के संबंध में कुछ स्वप्नलोकी आशाएं सामने आ रही हैं । हाल ही में प्रधानमन्त्री डा० मनमोहन सिंह जी की अध्यक्षता में हुई योजना आयोग की बैठक में पिछले वित्त वर्ष की विकास दर नौ फीसदी से काफी कम रही थी।योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलुवालिया का मानना है कि देश के लिये अगला छः माह अत्यन्त महत्वपूर्ण है । संभव है कि देश की अर्थव्यवस्था पटरी पर आ जाय ।

भारत में पूंजी निवेश की संभावनायें निरन्तर बढ़ रही हैं । ऐसा माना जाय तो इसमे अतिशयोक्ति न होगी । पूंजी निवेश से अपार संभावनाओं को बल मिलेगा । जब कभी भी ऐसा हुआ सकारात्मक परिणाम सामने देखने को मिला है । देश की जनता ने हमेशा प्रगति के मार्ग की अपेक्षा की है । ऐसा देख कर जो बात सामने आती है वह है अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करना ।

श्री अहलूवालिया की बात यदि रंग लायी , संभव है सार्थक परिणाम सामने आ जांय । विश्व की मंदी से भारत के अछूते होने की बात कितनी मात्रा में सच होगी यह तो समय ही बतायेगा । सुधर रहा आर्थिक परिवेश विदेशी निवेशकों को कितना आकर्षित कर सकेगा । ऐसा संभव हुआ तो विश्व स्तर पर हमारी पहचान तेजी से उभर रही अर्थव्यवस्था के रूप में होगी ।

किसी भी देश की अर्थव्यवस्था उसकी जान होती है । जब तक अर्थव्यवस्था नहीं मजबूत होगी विकास कार्यों को किस हद तक बढ़ावा मिलेगा ?

6 comments:

  1. बेहतर आलेख । धन्यवाद ।

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  2. हाँ, एक बेहतर अर्थव्यवस्था ही हमें हर तरह का स्थायित्व दे सकती है !

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  3. एकदम सच. सोचनीय है.

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  4. जब तक खेती लाभकारी उद्योग नहीं बन जाती तब तक गाँवों के देश की अर्थव्यवस्था स्वस्थ हो ही नहीं सकती.

    आपका आलेख आशा जगाता है.....

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  5. बिलकुल ठीक बात है मगर अर्थव्यवस्था को सुधारना एक चुनौती तो है ही....चिंतन बहुत अच्छा है.

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टिप्पणियाँ दे । हौसला बढ़ेगा । आभार ।

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