परमाणु उर्जा के क्षेत्र में भारत के बढ़ते कदम को देखकर आने वाले समय में बेहतरी का अन्दाजा लगाना स्वाभाविक है ।
भारत की यात्रा पर आये मंगोलिया के राष्ट्रपति साखियगिन एल्बेगदोर्ज और भारत के प्रधानमंत्री डा० मनमोहन सिंह के बीच हुई वार्ता में परमाणु उर्जा व चार अन्य करारों पर हस्ताक्षर हुआ । जिसमें सांस्कृतिक आदान - प्रदान, चिकित्सा सहयोग, सांख्यिकी आंकड़ो का आदान - प्रदान को लेकर चर्चा हुई ।
मंगोलिया से पहले अब तक भारत ने अमेरिका, फ्रांस, रूस व कजाकिस्तान से समझौता किया है । इन देशों से मिलने वाला यूरेनियम हमारे परमाणु बिजली संयन्त्रों के काम आयेगा । ये सारे प्रयास यदि निर्धारित समय से अपनी मंजिल की ओर पहुंचे तो वह दिन दूर नही कि हमें भरपूर मात्रा में बिजली मिलेगी ।
परमाणु उर्जा को लेकर भारत की जागरूकता के संबंध में यह कहा जा सकता है कि अपने उद्देश्यों को लेकर किये जा रहे प्रयासों में तेजी की आवश्यकता है । यदि ऐसा हुआ तो हमें विद्युत और विद्युतीकरण को लेकर आ रही कठिनाइयों का सामना नहीं करना पड़ेगा । किसी भी देश के विकास में उसके प्राकृतिक व गैर प्राकृतिक संसाधनो का बहुत योगदान होता है । इनके बीच सामंजस्य का भाव बनाकर ही लम्बी अवधि तक उर्जा प्राप्त किया जा सकता है अन्यथा असन्तुलन को बढ़ावा मिलेगा और आने वाले समय में और संकट की स्थिति से दो - चार होना पडे़गा ।
बहुत परेशानी है बिजली की । जल्दी-जल्दी विद्युत उत्पादन के क्षेत्र में हम आत्म-निर्भर हों और परमाणु उर्जा से यह विद्युत संकट दूर हो ।
ReplyDeleteपरमाणु उर्जा से बिजली का उत्पादन बढेगा .. भारत के विशाल जरूरत को देखते हुए यह कम नहीं .. प्रयास में तेजी की आवश्यकता तो है ही!!
ReplyDeleteअच्छा रहा जानना!!
ReplyDeleteखुशी है कि कदम बढ़ तो रहे है :)
ReplyDeleteयूरेनियम का उपयोग ठीक है, इसके प्रयोग से भारत की तरक्की होगी,लेकिन इसके लिये अन्य देशों को इसका अत्यधिक पैसा देना होगा। कैसा हो यदि भारत में मिलने वाले थोरियम पर शोध हेतु पैसा लगाया जाय,जो कि यूरेनियम से अधिक शक्तिशाली एवं भारत में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है।
ReplyDeletesundar aalekh . dhanyavad.
ReplyDeleteachhi lagi aapki post....
ReplyDeleteइस टिप्पणी के माध्यम से, सहर्ष यह सूचना दी जा रही है कि आपके ब्लॉग की इस पोस्ट को प्रिंट मीडिया में स्थान दिया गया है।
ReplyDeleteअधिक जानकारी के लिए आप इस लिंक पर जा सकते हैं।
बधाई।
बी एस पाबला