एक ऐसी साख जिसका डंका कहां नहीं बजा । विश्वसनीयता के मामले में समाज का कोई ऐसा वर्ग नहीं जो उंगली उठा सके । मामला वर्षों के भरोसा निभाने का जो ठहरा । भारत की बीमा कंपनी-"भारतीय जीवन बीमा निगम" जिसने कभी सोचा भी न होगा कि मुझे अपने ही लोग पैरों में कुल्हाड़ी मार जनता को धोखे में रख अपना व्यवसाय निर्मित करेंगे । बात एल. आई. सी. अभिकर्ताओं की कर रहा हूं । जिसमें कुछ कथित संभ्रान्त हैं । नाम न लेना ही श्रेयश्कर होगा । लोगों को पालिसी करने की ओर आकर्षित करने के लिये लोक-लुभावन बातों से उनके सुन्दर भविष्य के प्रति आश्वस्त कराना कि आप जबरदस्त फायदे में होंगे आपके सभी सपनो को एल. आई. सी. साकार करेगी । दुर्घटना हितलाभ सहित ।
आप पालिसियां करायें और निश्चिन्त हो जांय । आप को प्रीमियम के लिये कोई समय सीमा नहीं । हम हैं ना ।
आगे पीछे भी दे दीजियेगा । भला कौन इस चिकनी चुपड़ी बातों में नहीं फसेगा और वह भी मानवीय गुणों से अछूता कैसे रह सकता है ? बेचारे आ फंसते हैं इनकी बातों में । करा लेते हैं अच्छी पालिसियां । जिसके प्रीमियम की रकम भी मोटी होती है । कोई कितने अरमान संजोता है अपने भविष्य के प्रति । पालिसी गड्ड में गिरेगी ऐसा कभी कोई नहीं सोचता । आपकी पालिसी शुरू हुई ,शुरू होता है सिलसिला प्रीमियम जमा करने का । आप चिन्ता न करें क्या जरूरत है नेट बैंकिंग की ? क्या जरूरत है आपको एल. आई. सी. आफिस जा लाईन में लग चक्कर लगाने की । हम आप के यहां खुद आकर पैसा ले जायेंगे । आपको परेशान भी न होना होगा ।
ऐसे दस- बीस लोगों की भी पालिसी हो जाय तो इनका साईड बिजनस आराम से चलता है । कारण कि यह आप से प्रीमियम माह की दो-चार तारीख तक आप से पैसे ले लेते हैं । उस माह का पचीस - छब्बीस दिन और अभिकर्ताओं को एल. आई. सी. अगले माह की अन्तिम तारीख तक पैसा जमा करने की छूट उन्हें दे देती है तात्पर्य कुल मिला कर पैसा उनके पास लगभग दो माह में कुछ दिन ही कम के बराबर रहता है । ये लोग पैसे का पूरा इस्तेमाल करते हैं । यह बात कहां तक उचित है ? कभी- कभी ऐसा भी होता है कि पैसा बराबर लेने के बाद भी समय - समय पर प्रीमियम भुगतान नहीं होता । जब आप जा कर स्टेटस देखते हैं तो पता चलता है कि आपकी दो- तीन किश्त बकाया है जबकि आप अपना प्रीमियम समय से अभिकर्ता को दे चुके होते हैं । तफ्तीस करने पर ये अभिकर्ता हांथ जोड़ कर खडे़ हो जाते हैं कि भईया माफ करिये हम इतने व्यस्त थे कि जमा नहीं कर पाये । कल ही जमां कर देंगे चिन्ता मत करिये ब्याज भी मैं ही दूंगा क्योंकि देरी भी हमीं से हुई है ।
अरे पालिसी धारक के साथ इतना बड़ा खिलवाड़ । अगर ब्याज सहित जमा करने की सोच ये समय से प्रीमियम जमा न करें बीच में यदि कोई असामयिक दुर्घटना घट जाय तो रिस्क की भरपाई कौन करेगा ? ये करेंगे ? एल. आई.सी. तो सीधे मुकर जायगी कि आप का प्रीमियम समय से नहीं जमा है । पालिसी रनिंग कण्डीशन में नहीं है हम दावा का भुगतान नहीं कर सकते । एल. आई. सी . साक्ष्य के आधार पर मुकर जायगी । इधर समय से प्रीमियम अभिकर्ता को देने वाला दुनिया से चला जाय। नामिनि को भुगतान प्रीमियम के पैसे से खेलने वाले ये अभिकर्ता कर सकेंगे ......?
चिन्तनीय मुद्दा है..
ReplyDeleteहेमंत जी आपकी बात सही है और मैं पहले भी इस तरह की बातें सुन चुका हूं। इसका सबसे बेहतर उपाय तो यही है कि खुद ही नजदीकी शाखा में जमा करवा दिया जाये।कंप्यूटरीकरण के बाद तो आप कहीं भी जमा कर सकते हैं। और हां उस अभिकर्ता की शिकायत लिखित भी उसी या मुख्य शाखा में जरूर भिजवा दें ताकि दूसरे बच सकें।काम की बात लिखी आपने
ReplyDeleteआपके लेख से बहुत कुछ सीख मिली।
ReplyDeleteधनतेरस, दीपावली और भइया-दूज पर आपको ढेरों शुभकामनाएँ!
बहुत अच्छा विश्लेषण. जानकारी मिली
ReplyDeleteबच के रहना रे ! यही तो दुनिया है !
ReplyDeleteपॉलिसी - एक शब्द ने ही कितना प्रभावित किया है जीवन को, देश को, घर को ।
ReplyDeleteकभी फॉरेन पॉलिसी की असफलता तो कभी होम पॉलिसी का असंतुलन - ऐसे में ध्यान इनकी एकरसता से हटकर बीमा पॉलिसी की ओर चला जाय तो आश्चर्य कैसा !
एंगल बेहतर है ।
चिन्तन का विषय है भाई.
ReplyDeleteहेमंत भाई आपकी बात जायज है लेकिन यह धोखाधड़ी बीमा कंपनी विशेष से नहीं व्यक्ति विशेष से है जैसा कि आपने कहा है कि कुछ संभ्रांत लोग भी है .. मै कई ऐसे लोग क भी जनता हु जो यह काम बिलकुल पूजा समझ कर करते है बिलकुल सादे तैर पर
ReplyDeleteसबसे बेहतर उपाय तो यही है कि खुद ही नजदीकी शाखा में जमा करवा दिया जाये।कंप्यूटरीकरण के बाद तो आप कहीं भी जमा कर सकते हैं
भई ये तो आपने हमारी आपबीती लिख डाली.....हमारा एजेन्ट पिछले 4 महीनों से प्रीमियम के बतीस हजार रूपये अपनी जेब में डाले घूम रहा है....यदि पूछो तो वही आपके वाला जवाब कि "आप भी नाहक ही फिक्र करते हैं,चिन्ता न करिए मैं अपने आप जमा करवा दूँगा "
ReplyDeleteअब पुरानी जानपहचान होने के कारण न तो उन पर अधिक जोर ही डाल सकते हैं और न ही उनकी कहीं शिकायत ।
दीपावली, गोवर्धन-पूजा और भइया-दूज पर आपको ढेरों शुभकामनाएँ!
ReplyDeleteहेमन्तजी,आपकी बात सोलह आना सच है। मेरी बेटी छाया के नाम पर एक रिलायन्स की पालीसी करवाई। अभिकर्ता सोनी जो अभी मंद्सौर में पद्स्थ है मुझे बताया कि एक बार रकम जमा करा दो बाद मे कोइ झंझट नहीं। ३० हजार की पालिसी थी। एक साल बीतने पर रिलायंस से नोटिस आने लगे कि अगली किश्त जमा कराओ अन्यथा पालिसी लेप्स हो जाएगी। रिलायंस कंपनी के अभिकर्ता लोगों के साथ चालाकी कर रहे हैं। इन धूर्तों से सावधान रहने में ही भलाई है।
ReplyDeleteबीमा कंपनियों के अभिकर्ता लोगों के साथ छल कर रहे हैं ।रिलायंस कंपनी का अभिकर्ता जितेन्द्र सोनी जो मंदसौर ब्रांच में कार्यरत है वह झूठ बोलकर लोगों से पालिसी बनवाता है। रिलायंस में सिंगल डिपोजिट पालिसी नहीं है पर यह अभिकर्ता लोगों को बेवकूफ़ बनाकर सिगल प्रिमियम की पालिसियां भी बनवा रहा है। लेकिन बाद में कंपनी के नोटिस आते हैं कि ३ साल तक प्रिमियम जमा कराना अनिवार्य है अन्यथा पालिसी लेप्स हो जाएगी। जिस व्यक्ति ने सिंगल प्रिमियम के हिसाब से पालिसी बनवाई वह दो और किश्तों का पैसा कहां से लायेगा? ऐसे अभिकर्ताओं के विरुद्ध रिलायंस कंपनी एक्शन क्यों नहीं लेती है?
ReplyDeletegood knowldge for people
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